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लाइकोपोडियम के जीवनवृत्त का संक्षिप्त विवरण दीजिए।

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  लाइकोपोडियम का जीवन-चक्र ( life cycle of lycopodium ) लाइकोपोडियम का पौंधा स्पोरोफाइटिक होता है। इसमें प्रजनन बीजाणुओं द्वारा होता है। ये बीजाणु(spores) बीजाणुधानियों (sporangium) के अन्दर बनते हैं। इसकी बीजाणुधानियां पत्ती सदृश्य संरचनाओं के ऊपर लगी होती हैं, जिन्हें स्पोरोफिल (sporophyll) कहते हैं। स्पोरोफिल पौंधै के ऊपरी भाग में एक मुख्य कक्ष के चारों ओर अत्यधिक संख्या में चक्रों में व्यवस्थित रहती हैं और एक शंकु (cone) का निर्माण करती हैं। प्रत्येक बीजाणुधानी एक वृक्काकार (kidney shaped ) रचना होती है, जिसके अन्दर एक ही प्रकार के बीजापु (homospores) भरे रहते हैं इन बीजाणुधानियों का विकास यूस्पोरेंजिएट प्रकार का होता है अर्थात इसका निर्माण प्रारम्भिक कोशिकाओं के एक समूह से होता है।

टेरिडोफाइटा ( pteridophyata)

 टेरिडोफाइटा जिन्हें संवहनी क्रिप्टोगेम्स (vascular cryptogames) के नाम से भी जाना जाता है, एम्ब्रियोफाइटा (embryophyata) समूह का सबसे बड़ा समूह है । क्रिप्टोगेम्स (cryptogames) शब्द का उपयोग सर्वप्रथम लिनियस (linneus) ने सन् 1754 में उन पौधों के लिए किया था, जिनमें स्पष्ट रूप से दिखाई देने वाले प्रजननांगों (sex organs) का अभाव होता है। टेरिडोफाइटा (pteridophyata) शब्द दो ग्रीक (greek) शब्दों pteron (=feather) तथा phyton (=plants) से मिलकर बना है, जिसका अर्थ पक्षवत (pinnate) या पंखनुमा (feather or fonds like) पत्तियों युक्त पादप होता है । इस प्रकार "टेरिडोफाइटा" ऐसे संवहनी क्रिप्टोगेम्स (vascular cryptogame) का समूह है,। जिनमें पुष्पों (flowers) एवं बीजों का अभाव होता है तथा जिनमें पंखनुमा पत्तियां पायी जाती हैं।      टेरिडोफाइटा के सामान्य लक्षण (General characters of pteridophyata) स्पोरोफाइट के लक्षण-1. इनका पादपकाय बीजाणुदि्भदी (sporophytic) होता है जो कि स्वंपोषी या आत्मनिर्भर (indepresent) होता है। 2. स्पोरोफाइट में संवहन तंत्र (vascular system) उपस्थित होता है...